हँसना फलदायी सेहत हेतु
बेमतलब हँसना उचित नहीं
मुस्कान भरा जीवन हो सबका
मायूसी न्यायोचित नहीं
अनुसार काल, परिस्थिति का
हँसना ही अच्छा लगता है
बेसमय, बेवजह का हँसना तो
परिहास केन्द्र बन जाता है
ध्यान रहे इन बातों का
हर पल का हँसना ठीक नहीं
पर बेमतलब मुँह फुलाए रखना
कोई गंभीरता का प्रतीक नहीं
कलम से- प्रेमसिंह ‘गौड़’
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