मिथ्या
मिथ्या जीवन के काग़ज़ पर
सच्ची कोई कहानी लिख ।
नीर-शीर न लिख पाए
तो पानी को तू पानी लिख।
अपना घर क्यूँ अलग
रहा मॉनसून की बूंदों से ,
लिखना है तो मॉनसून की
ये मनमानी लिख । इश्क मोहब्बत तो बहुत लिखा
लैला, रांझआ ,हीर ,
माँ की ममता प्यार बहन का
इन रिश्तों की तू मायने लिख।।
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