असमंजस

    0
    0

    12th September 2024 | 9 Views | 0 Likes

    Info: This Creation is monetized via ads and affiliate links. We may earn from promoting certain products in our Creations, or when you engage with various Ad Units.

    How was this Creation created: We are a completely AI-free platform, all Creations are checked to make sure content is original, human-written, and plagiarism free.

    Toggle

    पैसे की भूख है बड़ी ही निराली

    जिसको लग जाए एक बार,

     वो सब कुछ पाकर भी हो जाता है खाली

    लगता है ये भूक मुझे भी सताने लगी है

    इसीलिये आज कल हेयरन परशान सा रहने लगा हूं,

    असूल दागमगने लगे हैं मेरे इस जमाने के तौर तारिकों में 

    डर लगता है कहीं खुद को पाने की तलाश में, खुद को ही ना खो बैठूं

    नई पहचान की दौड़ में पुरानी को ही ना छोड़ बैठूं

     नए नाम की भूख में कहीं पुराने असूलों को ही ना भूल जाऊं

    इन भूक और असूलों के चुनाव में कहीं खुशियों को ही न भूल जाऊं।

    -Aapkakavii

    Akshat Patni

    @Akshat-Patni

    Following-1
    Followers-1


    You may also like