मेरे मक़ाम पर जो तीर आने वाले हैं
वो कहेंगे इश्क़ नहीं उन्हें जो चाहने वाले हैं
वो कहते है वादो के वार न करेंगे मुझ पर
देखना है अब वो कौनसे वादे निभाने वाले है
हम कमज़ोरी न बताते अगर मालूम होता
कि हर बार मुस्कुरा कर हमें पिघलाने वाले है
वो इतने मासूम बन कर करते है क़त्ल
लगता है कि गुनहगार ज़माने वाले है
ओर चेहरा तो कोई पढ़ कर देखे उनका
इत्मिनान हो जाएगा ज़न्नत जाने वाले है
एक दिन हमसे हाथ मिलाया उसने
लगा जैसे तमाम अरमां निकल आने वाले है
हम तो कब के बना लेते अपना उन्हें
पता चल गया वो हर दिल को जलाने वाले है
अजी हम भी ठहरे ज़िद्दी क़िस्म के
इतनी जल्दी हरगिज़ न पीछा छुड़ाने वाले है
ओर ठानी है हमने ख़ुदा की क़सम
साँस बाद में लेंगे पहले अपना बनाने वाले है
इल्म है वो ज़ुल्फ़ का लुत्फ़ हम कैसे भुला दे
वो महक हम दिल में बसाने वाले हैं
इश्क़ में अश्क़ तो कमज़ोर दिल बहाते है
हम तो कश्ती को पार ले जाने वाले है
मगर इरादा तो देखिए हमारे क़ातिल का
मरहम देते नही ऊपर से काम ज़ख्म बढ़ाने वाले है
हम नशा करते तो कब के नासूर हो जाते
मगर वो कहा हमें पहचानने वाले है
ये भी नही की उन्हें ख़बर नही जज़्बात की
मगर जिसे चाहते है उनके नख़रे इतराने वाले है
हमने कहा क्या रास नही आता तुम्हें
कहने लगे तुम जैसे हज़ारों मरने वाले है
ये बात ज़रा चुभ गयी हमें ओर सोच लिया
हम दर्द ही सह कर अब चुप रहने वाले है
मेरे मक़ाम पर जो तीर आने वाले हैं
हम दर्द ही सह कर अब चुप रहने वाले है
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