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कब सफल होता है प्रेम विवाह? प्रेमानंद महाराज की ये सलाह मान ली तो कभी नहीं होगा रिश्ता कमजोर** Premanand Ji Maharaj On Love Marriage

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    2 Likes | 2 Views | May 14, 2025

    प्रेम विवाह को लेकर समाज में हमेशा से बहस चलती रही है। आज के आधुनिक दौर में भी यह सवाल लोगों के मन में बार-बार उठता है कि क्या प्रेम विवाह सही होता है? क्या यह सफल होता है? और अगर किसी के प्रति सच्चा प्रेम है, तो रिश्ते को मजबूत बनाए रखने के लिए किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?

    इन्हीं सवालों का जवाब हाल ही में **प्रेमानंद महाराज** ने अपने एक प्रवचन में दिया, जो सोशल मीडिया पर काफी वायरल हो रहा है। अपने सादगी भरे अंदाज़ और व्यावहारिक ज्ञान के लिए प्रसिद्ध प्रेमानंद महाराज ने प्रेम विवाह को लेकर कुछ अहम बातें कही हैं, जो हर प्रेमी जोड़े के लिए मार्गदर्शन का काम कर सकती हैं।

     प्रेमानंद महाराज की सलाह: प्रेम विवाह कब होता है सफल?

    **1. प्रेम सिर्फ आकर्षण नहीं, समर्पण होना चाहिए**
    महाराज जी कहते हैं कि सच्चा प्रेम वो है, जिसमें त्याग, समझौता और समर्पण हो। केवल भावनात्मक आकर्षण पर आधारित प्रेम विवाह ज्यादा दिन नहीं टिकता। जब दो लोग एक-दूसरे की अच्छाईयों के साथ-साथ कमियों को भी स्वीकार करते हैं, तभी वो प्रेम विवाह सफल होता है।

    **2. विवाह को "मैं" नहीं, "हम" का रिश्ता बनाएं**
    महाराज जी के अनुसार, प्रेम विवाह में सबसे बड़ी चुनौती होती है "ईगो" यानी अहंकार की। अगर दोनों पार्टनर अपने-अपने अहम से ऊपर उठकर सोचें, तो रिश्ता मजबूत बनता है। हर निर्णय "हम" के नजरिए से लें, "मैं" के नहीं।

    **3. परिवार को साथ लेकर चलें**
    प्रेम विवाह करते समय अक्सर परिवार को नजरअंदाज कर दिया जाता है, जिससे रिश्तों में दूरी आ जाती है। प्रेमानंद जी कहते हैं कि अगर आप अपने प्रेम को रिश्ते में बदल रहे हैं, तो परिवार की सहमति और आशीर्वाद लेना जरूरी है। जब परिवार साथ होता है, तो मुश्किलें आसान हो जाती हैं।

    **4. संवाद बनाए रखें**
    महाराज जी मानते हैं कि किसी भी रिश्ते की बुनियाद संवाद पर टिकी होती है। छोटी-छोटी गलतफहमियों को दूर करने के लिए खुलकर बात करें। चुप्पी और अनकहे सवाल रिश्तों में दरार पैदा कर सकते हैं।

    5. आध्यात्मिकता को अपनाएं**
    प्रेमानंद जी का मानना है कि अगर जीवन में आध्यात्मिकता हो — चाहे वो ईश्वर का स्मरण हो, प्रार्थना हो या साधना — तो व्यक्ति का मन शांत रहता है और रिश्तों में भी स्थिरता आती है।

    निष्कर्ष:

    प्रेम विवाह तब ही सफल होता है जब उसमें प्रेम के साथ-साथ परिपक्वता, धैर्य, समझ और त्याग भी हो। प्रेमानंद महाराज की ये बातें अगर जीवन में उतार ली जाएं, तो न सिर्फ प्रेम विवाह बल्कि कोई भी रिश्ता कभी कमजोर नहीं होगा।

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