माँ आपके बारे में क्या लिखूँ ?
आप तो खुद ही एक किताब हो।
माँ आप एक ऐसी किताब हो
जिसके हर पन्ने पर एक नई खुशी, नया उपहार
एक नई सीख हमेशा छिपी रहती है।
माँ आप एक गुलाब हो
जिसका जीवन कष्टमय तो होता है,
लेकिन उसे देखो तो
हमेशा खिली, हमेशा मुस्कराती रहती है
जैसे कि वो बस हमारी खुशियों के लिए अपना दर्द छिपाती रहती है।
माँ आपके बारे में क्या लिखूँ, क्या कहूँ?
आप ही हमारी कलम हो,
आप ही हमारी बोली हो।
#अदितिकीरचना
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