कॉम्पिटिशन की होड़ में , 10 वीं के बोर्ड में,
बचपने की छोर में, वयस्कता की दौड़ में,
बच्चे कोचिंग जाते हैं .....
जहां शिक्षक नौजवान हो, ज्ञान का आसमान हो,
जहां दोस्तों का साथ हो, मस्ती भरी बात हो।
जहां पढ़ना आसान हो, Doubts का मान हो,
जहां tricks का अंबाड़ हो, प्रश्नों का झाड़ हो।
जहां test का schedule हो, विषयों का module हो।
जहां हर बच्चा स्टार हो, शिक्षक अपना यार हो,
जहां शिक्षक की मार हो, और उनका प्यार हो।
कोचिंग वो जगह है जो बच्चों के मन को भाती है,
इसलिए बच्चे कोचिंग जाते हैं।
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