ध्यान: मन की शांति और स्पष्टता का मार्ग - ईशा क्रिया का परिचय
ध्यान, एक प्राचीन अभ्यास, मन को केंद्रित कर आंतरिक शांति और मानसिक स्पष्टता प्राप्त करने का एक शक्तिशाली साधन है। यह हमें वर्तमान क्षण में उपस्थित रहने, विचारों और भावनाओं को बिना किसी निर्णय के देखने की क्षमता विकसित करने में मदद करता है। तनाव, चिंता, और भागदौड़ भरी आधुनिक जीवनशैली में, ध्यान एक ऐसा आश्रय प्रदान करता है जहाँ हम अपने भीतर शांति और संतुलन पा सकते हैं।

सद्गुरु जग्गी वासुदेव द्वारा डिज़ाइन की गई ईशा क्रिया, एक सरल लेकिन शक्तिशाली ध्यान प्रक्रिया है जो आपके भीतर ऊर्जा, शांति और कल्याण को जागृत करने में सहायक है। यह क्रिया साँस लेने की विशेष तकनीकों और कुछ मानसिक कल्पनाओं के संयोजन पर आधारित है, जिसे बैठकर या कुर्सी पर बैठकर आसानी से किया जा सकता है।
ईशा क्रिया: चरण दर चरण
ईशा क्रिया का अभ्यास करने के लिए, निम्नलिखित चरणों का पालन करें:
👉तैयारी
शांत स्थान का चुनाव: एक ऐसी जगह खोजें जहाँ आपको किसी प्रकार का व्यवधान न हो। यह सुनिश्चित करेगा कि आप ध्यान की प्रक्रिया पर पूरी तरह से ध्यान केंद्रित कर सकें।
आरामदायक स्थिति: फर्श पर पालथी मारकर बैठें या कुर्सी पर सीधे बैठें। अपनी रीढ़ की हड्डी को सीधा रखें, लेकिन किसी प्रकार का तनाव महसूस न करें। अपने हाथों को अपनी गोद में या अपने घुटनों पर ऊपर की ओर facing रखें। यह स्थिति ऊर्जा के प्रवाह को सुगम बनाती है।
आँखें बंद करें: धीरे से अपनी आँखें बंद कर लें। यह बाहरी रुकावटों को कम करने और आंतरिक जागरूकता पर ध्यान केंद्रित करने में मदद करता है।
गहरी साँसें: कुछ गहरी और धीमी साँसें लें और छोड़ें। यह आपके शरीर और मन को शांत करने और ध्यान के लिए तैयार करने में सहायक है।

👉क्रिया:
ईशा क्रिया’ को करने की विधि बहुत ही साधारण है। सबसे पहले एक आपको चेहरा पूर्व की दिशा की ओर करके पालथी मारकर बैठना होगा और उसके बाद अपनी पीठ को सीधा रखें। हाथों को जांघों पर इस प्रकार रखें कि आपकी हथेलियां ऊपर की तरफ खुली रहें। उसके बाद अपने चेहरे को थोड़ा ऊपर की तरफ कर लें और अपनी दोनों आंखों को बंद करके भौहों के बीच अपना फोकस बढ़ाएं।
पहला चरण
ऊपर दी गई बैठने की प्रक्रिया को पूरी तरह फॉलो करने के बाद सबसे पहले शुरुआत होती है पहले चरण की। इस चरण में आराम से धीरे-धीरे सांस अंदर-बाहर करें। जिस समय आप सांस ले रहे हैं उस समय अपने मन में कहिए कि “मैं शरीर नहीं हूं”। सांस लेते समय बार-बार इस वाक्य को बोलें। वहीं जब आप सांस छोड़ रहे होते हैं उस समय अपने अंदर कहिए की “मैं मन नहीं हूं”। इस पूरी प्रक्रिया को करीब 7-11 मिनट तक बार-बार करते रहें।
दूसरा चरण
वहीं दूसरे चरण में आपको सांस अंदर लेने और छोड़ने के अलावा मुंह से ‘आ…’ की आवाज निकालनी होगी। इस क्रिया में ध्यान रहे की आवाज नाभि के नीचे से आनी चाहिए और आपको यह भी ध्यान रखना है ऐसा करते समय बहुत तेज-तेज न बोले। बस इतनी आवाज निकालें जिससे आपको कंपन्न महसूस हो। इसे सात बार करना है और सांस छोड़ते समय सांस पूरी तरह से छोड़े।
तीसरा चरण
यह इस क्रिया का तीसरा व अंतिम चरण है। इस चरण में ध्यान करते समय अपने चेहरे को थोड़ा ऊपर की तरफ रखें और अपना ध्यान 5-6 मिनट तक भौंहों की तरफ रखें। इस पूरी क्रिया को 12-18 मिनट तक करना होगा। आप चाहें तो अपनी क्षमता के अनुसार अपना टाइम बढ़ा भी सकते हैं।....
समय: इस प्रक्रिया को लगभग 12-15 मिनट तक जारी रखें। अपनी साँस और मानसिक उच्चारण पर ध्यान केंद्रित रखें। यदि आपका मन भटकता है, तो धीरे से अपना ध्यान वापस साँस और उच्चारण पर ले आएं। मन का भटकना स्वाभाविक है, इसलिए निराश न हों, बस धीरे से उसे वापस वर्तमान क्षण में ले आएं।
समाप्ति: जब निर्धारित समय पूरा हो जाए, तो धीरे से अपनी आँखें खोलें। कुछ क्षण के लिए शांत बैठे रहें और अपने भीतर हो रहे सूक्ष्म बदलावों को महसूस करें। यह आपको ध्यान के प्रभावों को आत्मसात करने में मदद करेगा।
👉महत्वपूर्ण बातें
इस क्रिया को नियमित रूप से करना महत्वपूर्ण है, खासकर सुबह और शाम। नियमित अभ्यास इसके लाभों को अधिक प्रभावी बनाता है।
शुरुआत में, यदि आपका मन भटकता है तो निराश न हों। अभ्यास के साथ आपकी एकाग्रता में सुधार होगा। धैर्य रखें और अभ्यास जारी रखें।
किसी भी प्रकार का ज़ोर या तनाव न डालें। यह एक सहज और आरामदायक प्रक्रिया होनी चाहिए। ध्यान को एक आनंददायक अनुभव बनाएं।
यदि आपको कोई स्वास्थ्य समस्या है, तो इस क्रिया को शुरू करने से पहले अपने डॉक्टर से सलाह अवश्य लें।
👉ईशा क्रिया के अद्भुत लाभ

ईशा क्रिया का नियमित अभ्यास आपके शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक कल्याण के लिए अनगिनत लाभ प्रदान कर सकता है:
💕ऊर्जा के स्तर में वृद्धि: यह क्रिया आपके शरीर में ऊर्जा के प्रवाह को सुगम बनाती है, जिससे आप अधिक जीवंत और सक्रिय महसूस करते हैं।
💕 मानसिक शांति और स्पष्टता: यह मन को शांत करने और विचारों को व्यवस्थित करने में मदद करती है, जिससे आपको गहरी मानसिक शांति और स्पष्ट सोच मिलती है।
💕तनाव और चिंता में कमी: नियमित अभ्यास तनाव, चिंता और अवसाद के लक्षणों को प्रभावी ढंग से कम कर सकता है, जिससे आपका भावनात्मक स्वास्थ्य बेहतर होता है।
💕बेहतर नींद: यह आपको गहरी और आरामदायक नींद लाने में सहायक हो सकती है, जिससे आपका शरीर और मन पूरी तरह से तरोताजा हो जाता है।
💕 आंतरिक संतुलन: यह आपके भीतर एक गहरा संतुलन और सद्भाव स्थापित करने में मदद करती है, जिससे आप अधिक स्थिर और शांत महसूस करते हैं।
💕 जागरूकता में वृद्धि: यह आपको अपनी भावनाओं, विचारों और अपने आसपास के वातावरण के प्रति अधिक जागरूक बनाती है, जिससे आप अधिक सचेत निर्णय ले पाते हैं।
💕आध्यात्मिक विकास: यह आपको अपने भीतर की गहराई और ब्रह्मांडीय चेतना से जुड़ने का अनुभव करा सकती है, जिससे आपके जीवन में एक नया आयाम जुड़ता है।
💕 शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार: कुछ व्यक्तियों ने पाचन में सुधार और अन्य शारीरिक समस्याओं में भी सकारात्मक बदलाव अनुभव किए हैं।
संक्षेप में, ईशा क्रिया एक शक्तिशाली और सुलभ उपकरण है जो आपको एक अधिक संतुलित, खुशहाल और उद्देश्यपूर्ण जीवन जीने की ओर ले जा सकता है। इसे अपनी दैनिक दिनचर्या का हिस्सा बनाएं और इसके लाभों का अनुभव करें।
धन्यवाद ❤😇...
ईशा क्रिया यूट्यूब लिंक 👉https://youtu.be/j88aViUeHew?si=Yh6tPpkN9Z5TfC9l
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