आरज़ू तो बहुत सी हैं मगर वक्त नजर आता ही नहीं की उन्हें पूरा कर सकें।
दिल की चाहत है कि हम कुछ कर गुज़रें, मगर में कमबख्त समझता ही नहीं।
प्यार मे दुनिया ने इस दिल को बदनाम करार किया है, मगर जब जब बारी जिम्मेदारियों में आई है तब नजाने क्यों कमबख्त हम ही गुन्हेगार निकले।
Comments