गुनाह गुनहगाारों का,
अब ना छिप पाएगा,
जब हिसाब होगा
बेरहम कातिलों का
तो कटघरे में
मासूम भी खड़ा होगा।
दुष्टता का कृत्य किया
तो कैसे मान लिया,
कि तू बच जाएगा
और आज़ाद ही रहेगा।
सब जानती है जनता
उसने सब है देखा,
कि किसने गुनाह किया
और कौन है पात्र अपराध का।
कुछ ना बोलना
या हमेशा चुप रहना,
दोषियों को शेर बनाता गया
पर न्याय के सामने अब
शेर भी भिगी बिल्ली हो गया।
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