मैं तुम्हारा साया हूँ ।
तुम्हारा अंग न होकर भी सदैव तुम्हारे साथ हूँ।
तुम्हारी नकल करना ही मेरी प्रकृति है।
अँधेरे में अकेला छोड़ना यही मेरी प्रवृत्ति है।
#अदितिकीरचना
मैं तुम्हारा साया हूँ ।
तुम्हारा अंग न होकर भी सदैव तुम्हारे साथ हूँ।
तुम्हारी नकल करना ही मेरी प्रकृति है।
अँधेरे में अकेला छोड़ना यही मेरी प्रवृत्ति है।
#अदितिकीरचना
Comments