अनकही
उड़ती हुई तितली है बेटी ,
होठों की मुस्कान है बेटी ।
कभी मां कभी बहन कभी बेटी कहलाती है ,
फिर क्यों हर मां की तरह पूजी नहीं जाती है ।
कभी बस स्टैंड कभी घर में छेड़ी जाती है ,
क्यों बेटी अपने ही घर में आजाद नहीं रह पाती
सरकार ने चुप्पी साधी है लड़कियों की बातों पर
क्या ये है भारत है जिसकी बात होती थी आसमानों पर
अंकिता मोनोमिता हजारों ने अपनी जान गंवाई है
क्यों अभी तक अपराधियों को सजा नहीं सुनाई है ?
लक्ष्मी नहीं काली बनना होगा
अब खुद के लिए खुद लड़ना होगा
ना आयेंगे अब कृष्ण बचाने इस कलयुग में
अब हमें खुद शस्त्र उठाना होगा
अब और न घबराना होगा
अब और न डगमगाना होगा
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