*मेरा जन्मदिन*
मेरा जन्मदिन बचपन में जब आता तो मैं खुशी से झूम जाती, केक कौन सा काटू बस इसी बात से खुश हो जाती।
जवानी आई तो नए सपनों को लेकर आई, दोस्तों का संग सारा दिन बिता, मौज, मस्ती और खूब नए तोहफे मिले।
शादी हुई, पति के प्यार में ऐसी खो गई कि मानो जन्मदिन मनाना भूल ही गई।
बच्चा आया, उनके जन्मदिन पर मानो खुशी से डूब गई, खुश करते करते सबको मानो मैं कहीं खो गई।
बुढ़ापा के करीब जब कदम पहुंचा, तो पहली बार दिल में हलचल हुई। जिस जन्मदिन का आना का इंतजार होता था कभी, आज उसका आना डरावना लगता है, मानो खत्म हो रही जिंदगी, खौफ सा लगता है।
Comments