अमृता सा इश्क़, इस्मत सी बग़ावत,
मन्नू सी ममता जब मुझमें जागे,
न शब्द अधूरे, न जज़्बात अधूरे,
उस दिन कहूँगी — अब मैं पूरी हो गई।
अमृता सा इश्क़, इस्मत सी बग़ावत,
मन्नू सी ममता जब मुझमें जागे,
न शब्द अधूरे, न जज़्बात अधूरे,
उस दिन कहूँगी — अब मैं पूरी हो गई।
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