काँच से भी नाज़ुक होते हैं कुछ ख्वाब दिलों के, टूट भी जाएँ तो आवाज़ नहीं करते। पर कोशिश वो दरिया है जो हर बार बहता है, चाहे पत्थर कितने भी रास्ता रोकते रहें।
थक जाएं पाँव तो क्या, हौंसलों को पंख दे, रात गहरी हो तो क्या, चाँदनी तो साथ दे। हर हार में छुपी होती है एक नई जीत की साज़िश, बस दिल से कीजिए हर रोज़ एक सच्ची कोशिश।
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