जवानी ने बड़े-बड़े सपनें दिखाकर
बचपन के छोटे-छोटे खुशियां छीन लिया
सोचा था बड़े होकर बचपन की जेल से आजाद हो जाऊंगा
पर हमें कहा पता था, जवानी हमसे हमारी खुशियां छीन लेगा
ना समय की पाबंदी थी, ना जिम्मेदारियों का बोझ
बस बेवजह ही छोटी-छोटी चीजों से खुश हो जाता था रोज..
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