मिरा ख़ूं करके तुम यूं निकले तो क्या निकले,
उस तलक तो रुक के हंसते जब जाॅं निकले,
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वो वादे हमसफ़र के हमसफ़री के,
यूं हम को हम से अलग कर के कहां निकले,
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जा लिपट-मर-टूट के जड़ जा उसी में,
जिसकी दम पे मूं से झूठे-मूठे बयां निकले,
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फ़क्र से शीशे में खुद को देखते हो,
हम से पूछो तो कहूं के तुम क्या निकले,
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मैं मर जाउंगा तो तुम भी मर जाओगे क्या?
मेरी जगह शोहरत पैसे से भर पाओगे क्या?
तड़पूंगा ताउम्र तुम कुछ कर पाओगे क्या?
दुआ है हर तेरी दवा बस बद-दवा निकले,
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हर किसी की जान लेना जानते हो,
माने, तुम भी बेरहम एक खुदा निकले.........
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