ख़्वाहिशों को पंख दिए हैं ख़यालों ने, हर टूटती राह पे चाँद खिलाया है। ना थके हैं क़दम, ना बुझी है उमंग, हर हार में भी खुद को पाया है।
हवा से बातें करना सीखा है, तूफ़ानों में भी मुस्कुराना सीखा है। ख़्वाहिशें ना मिटीं, ना कभी रुकेंगी, हर गिरने पर फिर से उड़ना सीखा है।
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