मेरी कलम क्या कहेगी आज,
जब भय से काँप रहा है सर का ताज।
जहाँ लोग देखने गए थे प्रकृति के खूबसूरत रंग,
वहाँ उन्होंने देखा मानव का बेहद क्रूर रंग।
#अदितिकीरचना
मेरी कलम क्या कहेगी आज,
जब भय से काँप रहा है सर का ताज।
जहाँ लोग देखने गए थे प्रकृति के खूबसूरत रंग,
वहाँ उन्होंने देखा मानव का बेहद क्रूर रंग।
#अदितिकीरचना
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