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बेख़ौफ़ है फिर भी डरता है आदिम,
अमन-चैन की बात करता है आदिम,
चेहरे पे परतें नक़ाबों की रख के,
शिद्दत से हद से गुज़रता है आदिम,
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कमाल इसका कितना कमाल है, पता है,
हरवक्त वादा मुकरता है आदिम,
जान-ए-ज़माने की कीमत ही क्या है,
बस ख़ुद की परवाह करता है आदिम................
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