तुम ऐसी हो तो तुम ऐसी क्यों हो?
तुम वसी हो तो तुम वसी क्यों हो?
सोचना पर भी इन सवालों का जवाब नहीं मिलता,
करो तो क्या करो कोई हल नहीं मिलता।
मोटी हूं तो लोग हंसते हैं,
दुबली हो जाऊं तो मजाक उड़ाते हैं,
सवार कर बाहर जाऊं तो लंच हजार लगाते हैं,
ना जाऊं तो सांधे दिखाते हैं,
करूं तो क्या करूं...
मुस्कुराऊं अगर तो बदचलन कहते हैं,
ना मुस्कुराऊं तो गमंड दिखाते हैं,
कहते हैं, करूं तो क्या करूं...
मैं ऐसी हूं तो ऐसी क्यों हूं,
वैसी हूं तो वैसी क्यों हूं,
लोग हजारों बातें बनाते हैं...
सुनकर, हंस कर, भूल जाना अब आदत हो गई है,
कोई कुछ भी कह ले, आगे चल जाना अब जरूरत हो गई है,
करूं तो क्या करूं...
मैं ऐसी हूं तो ऐसी क्यों हूं...
Comments