गणपति बप्पा मोरया
सजे मुकुट में चंद्र विराजे,
कर में मोदक, प्रेम की साजे।
मूषक वाहन, रूप निराला,
हरते संकट, भक्तों का प्याला।
गजमुख वाले ज्ञान के सागर,
सबसे पहले पूजे जाने वाले आगर।
बुद्धि, विवेक के देव तुम्हीं हो,
हर मन के प्रिय, शुभ तुम्हीं हो।
शिवसुत तुम, पार्वतीलाल,
तेरे चरणों में सबका हाल।
विघ्न विनाशक, मंगलकर्ता,
संकट में बन जाते रक्षक!
गणपति बाप्पा, आओ द्वार,
भर दो जीवन खुशियों से इस बार।
तेरे चरणों में है विश्वास,
संग तुम्हारे हर राह है खास।
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