मैं भूख हूँ।
मैं तुम सभी के भीतर हूँ।
मुझे शांत करने हेतु परिश्रम करते हो तुम।
मुझे शांत पाकर सुख का अनुभव करते हो तुम ।
कई रूप है मेरे, सिर्फ उदर नहीं है मेरा वास,
इच्छा मुझसे शिक्षा मुझसे, मुझसे है भोग-विलास।
अपने सत्कर्म के फल से मुझे तृप्त करते जाओ,
प्रेम की शीतलता से मेरी अग्नि को बुझाते जाओ।
#अदितिकीरचना
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