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Bahishkaaar ho……..

    Vijay Verma
    @Vijayverma
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    1 Likes | 14 Views | Apr 14, 2025

    बहुत देर से सोया था,

    अब जागा समझ में आया है,

    दिखता है सब साफ-साफ,

    कोई कीड़ा है घर खाया है,

    मेरी माटी मेरे देश पर,

    फैला काला साया है,

    पर काटे मेरी चिडि़या के,

    पन्छी अब चिल्लाया है,

    जोर से सब आवाज उठाओ,

    कान भरो सब हर साथी के,

    सर पर चढ़ कर बनो महावत,

    पाप के हर काले हाथी के,

    नसें जगा लो सब छाती की,

    माटी ने बुलवाया है,

    मठाधीश बन बैठा कुत्ता,

    हमें देख गुर्राया है,

    उठो जगो मर्दानों और सब,

    काटो कुत्ते बन कटार हो,

    चलो चुका दो बदला इस,

    मिट्टी का सारे तरनतार हो,

    जो ऊँचा चढ़-चढ़ के भौंके,

    हर कुत्ते का बार-बार हो,

    बहिष्कार हो बहिष्कार हो,

    बहिष्कार हो बहिष्कार हो..........................

    खून से लथपथ मेरा परिन्दा,

    हँसता है हर बार दरिन्दा,

    जितना हम मजबूर खडे़ हैं,

    उतने ही हम सब शर्मिन्दा,

    हम भी हैं देश के मुजरिम,

    हम सब ने करवाया गन्दा,

    माँ की अस्मत लूट-लुटा के,

    बेच बनाया अपना धन्दा,

    कब तक हम मगरूर रहेंगे,

    धर्मयुद्ध से दूर रहेंगे,

    माई बुलाती कब तक बेटे,

    शरम-लाज में चूर रहेंगे,

    चलो उठा लें आग-मशालें,

    बना लें खुद फाँसी का फन्दा,

    गले में डालें खींच के लाएं,

    चौराहे पे जला दें जिन्दा,

    बारूद भरें हमसब नस-नस में,

    फट जाएं भीषण प्रहार हो,

    देश बचाने देश बनाने,

    खून बहा दें लाल धार हो,

    बहिष्कार हो बहिष्कार हो,

    बहिष्कार हो,

    बहिष्कार हो.................................