कुछ यूं तबाह हुए हम अपनी आदतों से , उनकी चाह और सिगरेटों के धुएं से
रोने दो मुझे आज बेसबब उनकी याद में , कुछ तो सुकूं मिलेगा आंसुओं के बह जाने से
एक आरज़ू थी मेरी तुझको दुल्हन बनाने की , ना मुकम्मल रही जो तेरे बेवफा हो जाने से
रोएगी कुछ इस कदर मुझे याद करके वो , जैसा कोई बच्चा रोता हो माँ के बिछड़ जाने से
हम तो अपनी मोहब्बत में हुए यूं फ़ना मंजर , जैसे जिस्म मर जाता हो रूह के बिछड़ जाने से।
💔💫
~Manzar
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