यारा अब तो वापस आजा ना
अब और नहीं सहा जाता तेरा नाराज़ होना
तूं पहले जैसा बन जा ना
पहले जैसी मुझ से बातें कर लें ना
पहले जैसा मुझ पर हक जमा लें ना
कोई गिला शि़कवा होगा
तो बैठ कर सुलझा लेंगे
पर यूं नाराज़ तो मत रह यारा
अब और नहीं सहा जाता तेरा नाराज़ होना
हां माना नाराज़ होना तेरा हक है
पर थोड़ा मेरे बारे में भी तो सोच यारा
जब तूं रूठ जाता है मुझसे
तो मेरी दिल की धड़कने रूक जाया करती है
मैं खुद को बुरा भला कहने लग जाया करतीं हूं
ऐसे लगता है मानो
दुनिया की सबसे बड़ी ग़लती कर दी हो
पर कुछ समय बाद खुद को समझा लिया करती हूं
पर कब तक?
कभी ना कभी तो ये सबर का बांध भी टुट जाएगा ना यारा
सिर्फ में ही क्यों समझूं तेरी नाराज़गी को..?
तूं भी तो मेरे दिल का हाल समझ ना यारा ।
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