जाने कब हो गई इतनी बड़ी
छुट्टा माँ पापा का साथ
और सामने जिंदगी खड़ी||
जाने कब मैं बदल गई
खुद से ज्यादा
दुसरो की खुशी में ढल गई||
जाने कब इन किताबो
से प्यार हुआ
इनका हर एक पन्ना
मेरा अपना यार हुआ||
जाने कब स्कूल के पहले से आखिरी
दिन तक का सफर निकल गया
कॉलेज जाने की खुशी तो थी
पर अब वो बचपन वाला पल गया||
जाने कब मुझे पहला पहला इश्क हुआ
पता ही नहीं चला कि कब
वो मेरी आंखों से बहता अश्क हुआ||
जाने कब में आखिरी बार
दिल से मुस्करायी
यह सोच सोच कर पूरी रात
मुझे निंद नहीं आई||
जाने कब मैंने चलना सीखा
हर हलात में खुद ही
खुद से ढलना सीखा||
जाने कब पापा के कंधों से उतरकर
उनकी जिम्मेदारी अपने कंधो पर ली
इन नन्ही नन्ही आँखों से
मैंने ज़िंदगी की ख़ूबसूरती देख ली||
जाने कब इजहार हुआ पर
इस जिंदगी से मुझे
बहुत सारा प्यार हुआ||
जाने कब दिल टूट गया
हर किनारा मुझसे रूठ गया
जाने कब मां का आंचल छूटा
मुझसे हर खिलौना रूठा||
जाने कब सवेरा होगा
फिर से खुशियों का बसेरा होगा
जाने कब वो दिन आएंगे
जब एक छोटा सा घर
मां पापा और मेरा होगा||
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