इन आँखों में चमक हमारी खुशी बयाँ करती है,
इन आँखों में नमी हमारी उदासी बयाँ करती है।
जब दर्शाना हो क्रोध इन्हें यह अक्सर लाल हो जाया करती है,
जब जताना हो दुख इन्हें यह अक्सर आँसू बहाया करती है।
इन आँखों में स्फूर्ति मन की चंचलता बयाँ करती है,
इन आँखों में शांति मन की स्थिरता बयाँ करती है।
जब दर्शाना हो दर्द इन्हें यह स्वतः ही बंद हो जाया करती है,
जब जताना हो किसी भूल का एहसास इन्हें यह स्वयं ही खुल जाया करती है।
इन आँखों की चंचलता किसी को ढूंढा करती है,
इन आँखों की स्थिरता मन को एकाग्रचित करती है।
जब दर्शानी हो हामी इन्हें यह अक्सर ही पलक झपकाया करती है,
जब जतानी हो नाराजगी इन्हें यह अक्सर ही नजर हटाया करती है।
जब हम होते गहरी नींद में यह सपने सजाया करती है,
जब हम होते जाग रहे यह उन सपनों को साकार होते देखा करती है।
जब कोई बात हो छुपाना तो बच्चे भी अपनी नज़रें चुराया करते हैं,
क्योंकि वे भी जानते हैं कि ये आँखें सब बयां करती हैं।
#अदितिकीरचना
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