जीवन की उलझन, कैसी ये माया,
हर ओर अँधेरा, ना कोई साया।
आँसू हैं बहते, चुपचाप से गुमसुम,
बेबस है दिल ये, होता है नम नम।
राहें हैं मुश्किल, मंज़िल है खोई,
आशा की किरण भी, जैसे है सोई।
दर्द की ये लहरें, उठती हैं भारी,
जीवन की नैया, है अब बेचारी।
जीवन की उलझन, कैसी ये माया,
हर ओर अँधेरा, ना कोई साया।
आँसू हैं बहते, चुपचाप से गुमसुम,
बेबस है दिल ये, होता है नम नम।
राहें हैं मुश्किल, मंज़िल है खोई,
आशा की किरण भी, जैसे है सोई।
दर्द की ये लहरें, उठती हैं भारी,
जीवन की नैया, है अब बेचारी।
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