क्या यह तुम ही थे?

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    0 Likes | Views | Mar 20, 2025

    क्या यह तुम ही थे?

    कभी फुरसत की बात

    तो कभी फिक्र की बात,

    कभी परवाह बेहिसाब

    तो कभी व्यस्त मिज़ाज।

    था बदलता बरताव,

    फिर भी मौसम ना कहा

    क्योंकि प्यार जो था

    तुम से बेपनाह।

    तुमने कभी

    प्यार से बात की

    तो हमने भी

    दिल से सुन ली।

    फिर क्यों पत्थर से

    हो बन गए,

    जैसे हम तुम्हारे

    कुछ भी ना थे।