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ज़िन्दगी

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    1 Likes | 21 Views | Mar 24, 2025

    ज़िन्दगी ने हर पल इतना रुलाया है,

    ज़िन्दा रहने में नहीं, मरने में मज़ा आया है,

    बेताब हूं अभी कुछ सुना देने के लिये,

    बेताब हूं दिल के गुबार बता देने के लिये,

    कोई तो हो जो मुझे सुन ले,

    कहीं से कोई मुझसे प्यार के, अपनेपन के दो शब्द बोल दे,

    मिल नहीं रहा कहीं कोई मुझे अपना,

    कोई तो हो जो मुझे अपना कह तो दे,

    किसके लिये रहूं ज़िन्दा जब अपना कोई है ही नहीं,

    किसके लिये चले सांसें, जब कोई मुझे चाहे नहीं,

    हूं उदास, निराश इस जहां से जाना चाहता हूं,

    कही दूर आसमां में आशियाना बनाना चाहता हूं,

    वक्त है अभी भी कोई मुझे रोक ले,

    कहीं से कोई मुझे अपना तो बोल दे l