प्यार में है या नहीं?
ख़लिश कहूँ
या खेल कहूँ
प्यार को तेरे
मैं क्या कहूँ?
जब मन किया
तो अपना कह दिया,
जब मन नहीं हुआ
तो पराया मान लिया।
कभी गिरफ्तारी
तो कभी मिली रिहाई,
प्यार में तेरे कभी महफिल
तो कभी रही तन्हाई।
फिर कैसे कह दूँ
प्यार करता है तू,
जब प्यार में भी
शामिल नहीं था तू।
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