अनभिज्ञ संसार के कष्टों से,
परी थी,अपनी सुन्दर सी दुनिया में ,
अगर कुछ इंतज़ार था,
तो छोटी बहन के बड़े होने का,
उसके साथ खेलना,और ज़िन्दगी बाँटना I
पर यह क्या ?
माँ का रोकना , हमेशा कहना,
तंग नहीं करना, ख्याल रखना,
बड़े होने का धर्म निभाना I
यह सुन , भोयें भिजकाती ,
परी सोचने लगती ,
बहन को खुश करने का उपाए I
पर यह क्या ?
छोटी तो हमेशा मुस्कुराती,
दीदी- दीदी कह चहकती,
दाएं- बाएं घूमजाती,
पीछे- पीछे स्कूल पहुंच जातीI
यह देख, सोच विचार करती ,
परी पढ़ाने लगती,
बहन को अक्षर ज्ञान I
पर यह क्या ?
छोटी को कुछ समझ नहीं आता,
“ब को भ” या “त को ढ”,
उलटा- पुल्टा ,भूल भूलाके ,
एक जगह अटक जाते ,
परी का दिमाग घूमजाता ,
निकल परति छोटी को लेके I
पर यह क्या ?
भोली-भाली बहन मेरी,
कब किसको क्या कह देती,
साथ देख ,दोस्त होते परेशान,
कहते सब, कर उसका उपचार,
डॉक्टर ,टीचर, सब दिखाते,
पर ना होता कोई उपकार,
परी तब निर्णय लेती,
भविषये में करने का समाधान I
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