सच की खाल,,,

    Balwant Chaubey
    @RJBalwant
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    0 Likes | Views | Mar 17, 2025

    गाँव के चौराहे पर रामू की चाय की दुकान थी। रामू, अपनी सादगी और सच्ची बातों के लिए जाना जाता था। पर उसी चौराहे पर, चंदू ने एक नई दुकान खोली, जहाँ वह चटपटी कहानियाँ और झूठे किस्से सुनाता। चंदू का झूठ, झाग की तरह फैलने लगा, लोगों को लुभाने लगा। रामू की सच्ची बातें, मानो पुराने कपड़े की तरह फीकी पड़ने लगीं।

    चंदू कहता, "मैंने शहर में एक हवेली खरीदी है, सोने के बर्तन हैं वहाँ!" लोग वाह-वाह करते। रामू कहता, "आज दूध थोड़ा कम आया है, चाय थोड़ी पतली बनेगी।" लोग मुँह बनाते।

    धीरे-धीरे, रामू की दुकान खाली होने लगी, और चंदू की दुकान पर भीड़ बढ़ने लगी। रामू उदास हो गया, पर उसने सच का दामन नहीं छोड़ा। एक दिन, भारी बारिश हुई। चंदू की दुकान का टिन का शेड उड़ गया, और उसकी "सोने की हवेली" का झूठ भी सबके सामने आ गया। पता चला, उसने किसी और की हवेली देखकर कहानी बनाई थी।

    उसी दिन, रामू ने अपनी दुकान खोली, और गरमागरम चाय बनाई। बारिश थमने के बाद, लोग रामू की दुकान पर आए। रामू ने कहा, "आज चाय में अदरक डाली है, बारिश में अच्छी लगेगी।" लोगों ने चाय पी, और उन्हें रामू की सच्चाई की मिठास महसूस हुई।

    उस दिन के बाद, लोग समझ गए कि झूठ का झाग चाहे कितना भी चमकीला हो, सच की धूप के आगे टिक नहीं सकता। रामू की सादगी और सच्चाई फिर से चमक उठी, और चंदू का झूठ फीका पड़ गया।

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