अच्छा चलो ,तुम्हे एक बात बताते है ,
आज तुम्हे ग़म की दस्ता सुनते है।
किसी ने दबकर इससे जान अपनी गंवाई है ,
तो किसी ने इसे हथियार बना ,सफलता पाई है।
कुछ से इसे ही जिंदगी मान इसे अपनाया,
तो कइयों ने इससे लड़कर अपना जीवन सजाया।
देखो जैसे फूलों की रंगत ओर आजमाइश है हजार,
कुछ वैसे ही सजा है दुखो का बाजार।
ह अब वो तुम्हारी चाहत है ,
क्यूंकि दबे तो मौत ,लड़े तो जिंदगी में राहत है।।
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