गलतफहमी।

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    2 Likes | 1 Views | Mar 12, 2025

    शिकवा ना

    कभी तुमसे किया

    ना कभी शिकायतें

    की तुमसे बयान,

    फिर क्यों ना समझे

    तुम इश्क़ की ज़ुबान।

    ऐसी क्या थी

    तेरी मजबूरी,

    जो तुमने चुन ली

    प्यार से दूरी।

    किसकी थी खता

    जो इश्क़ को मिली सज़ा,

    क्या तुम्हारी थी रज़ा

    जो तोड़ा रिश्ता बेवजह।

    गर थी नाराज़गी

    तो कह देते बातें सभी,

    पर तुम तो बिन बोले ही

    हमें बना गए अपराधी।

    किसकी थी नाकामी

    जो नाराज़गी,

    से हुई गलतफहमी

    और रिश्ता ही तोड़ गई।