वो है गाली के हकदार।
जो करते है नारी पर हिंसा और अत्याचार,(2)
है सिर्फ वो गाली और लात खाने के हकदार।
जीने का भी उन्हें अधिकार नहीं है,
बचा उनके लिए कोई उपकार नहीं है,
करते है जो स्त्रियों का अनादर,
है नहीं किसी के वो भाई और दादर।
कुत्तों की जाती से भी बत्तर है वो,
देश के लिए सबसे बड़े कट्टर है वो,
यूं तो कुत्ता भी एक वफादार होता है,
उस वफादारी की धूल में उड़े एक पत्तर है वो।
जीव है फिर भी समझ नहीं है मन में,
सिर्फ और सिर्फ अस्लीलता भरी है पूरे तन,
न जाने कैसी ये बसी तन में हवस है,
कौन से जन्म के वो जल्लाद राक्षस है?
स्त्रियां बेचारी भयभीत है उनके डर से,
निकल नहीं पाती है वो रातों-रात अपने घर से,
ऐसे लोग है सिर्फ एक क्रूर से भरे बेशुमार,(2)
है सिर्फ वो गाली और लात खाने के हकदार।
Comments