एक बीज का खिलना, धीमी सी शुरुआत,
जीवन का नृत्य, टूटा हुआ सा साथ।
हर उगता सूरज, छाया ले आता,
हर हंसी की गूँज, चुपके से मिट जाता।
चमकते रंग, फीके पड़ जाते,
एक कोमल भूत, यादें बन जाते।
हर साँस के संग, पल है खो जाता,
जीवन का क्षय, जब भोर है आता।
हम प्यार और दया की दीवारें बनाते,
अंदर ही मृत्यु की ठंडक को पाते।
पर खोने में ही, सत्य है दिखता,
जीवन ही मृत्यु है, जो हमें है मिलता।
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