बदलते लम्हों की साज़िश है,
हर किसी की अपनी एक ख्वाहिश है।
जो हंस रहा है, वो भी टूटा है कहीं,
जो रो रहा है, उसके भी अपने दिल के बाज़ार में मुनाफ़िश है।
ख्वाब अधूरे हों तो क्या हुआ,
राहें मुश्किल हों तो क्या हुआ?
ज़िन्दगी एक सफ़र है जनाब,
कभी धूप, कभी छाँव, यही तो असल मज़ा हुआ।
कभी हार, कभी जीत—यही तो दस्तूर है,
सबर कर, हर दर्द का भी एक नूर है।
कल जो खोया, आज उसकी याद है,
पर जो मिलेगा, शायद उससे भी ज्यादा प्यार है।
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