लोग वफ़ा ढूँढते हैं बेवफ़ाई करके,
दिलों को तोड़ जाते हैं रस्म-ए-तन्हाई करके।
हमें तो चाहत में बस डूब जाना आया,
वो किनारे लग गए बेवजह रुसवाई करके।
इश्क़ की राह में कांटे भी हमने चुने,
वो गुल खिला गए महज़ अदाई करके।
हमसे पूछो दर्द-ए-जुदाई का सबब,
वो मुस्कुराते रहे बेख़ुदाई करके।
हमने तो रखी थी दुआओं में जगह,
वो चले गए हमें परछाईं करके।
अब भी उम्मीद है किसी मोड़ पर,
वो लौट आएंगे कोई नादानी करके।
जिया अंसारी✍️✍️
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