Prem

प्रेम

    Mahua Banerjee
    @Mahuarinku
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    3 Likes | 12 Views | Feb 21, 2025

    इक दिन हम सब बंधू  बैठे,

    गप शप करते चर्चा कर उठे I

    ये ढाई अक्षर प्रेम भला क्या है ?

    बूझो तो जाने !

    इस पर एक ने कहा,

    जब तक दिल न टूटे ,

    या प्रेमी न रूठे ,

    अIस्युएँ  से आंखे न भीगे,

    प्रेम भला क्या संभव है?

    सुनतेही दूसरे ने कहा,

    प्रेम तो किसी का होना,

    और किसी में खो जाना है

    जैसे मीरा जी का भजन,

    और गोपियों का समर्पण I

    इस पर तीसरे ने कहा ,

    प्रेम तो वह एहसाहस है,

    जो बरामदे में दस्तक देते,

    गुलाबी सा महसूस कराते,

    पल में ही मुदित करदेते I

    अब कवियत्री भला,कैसे चुप रहती,

    विचार विमर्श से कैसे बाहर रहती I

    मुस्कुराते हुए कह बैठी,

    प्रेम की नैया ऐसी,

    हँसते, रोते लहर  पार करदेती I

    चर्चा की गर्माहट   में ,

    कुछ और बंधू जुड़ गए I

    प्रेम की भाषI  में,

    सब रोमांचित हो गए I

    प्रेम, ऐसा भाव  है,

    जो हर कोई पाना चाहे,

    पर देने में हिचकिचाए ,

    और चर्चा में ही रह जाये ,

    ये ढाई अक्षर प्रेम भला क्या है ?

    बूझो तो जाने !

    -          महुआरिन्कू