अंतरमन का द्वेष।

    1
    0
    0
    0
    1 Likes | 1 Views | Feb 19, 2025

    जब मन असमंजस में हो

    तो कुछ नहीं भाता है,

    कोई पूछ ले हाल तो

    बस रोना आ जाता है।

    क्यों है ये बेबसी

    ये मन नहीं बताता,

    जो भी हो

    मन में ही रह जाता है।

    कहने को तो

    दोस्त हैं हर जगह,

    पर साथ कोई

    नहीं निभा पाता है

    और आखिर में

    बस अंतरमन में

    द्वष रह जाता है।