Creation 751718

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    1 Likes | Views | Feb 19, 2025

    बचपन के दिन।

    दिन बचपन के

    भी सुहाने थे,

    कभी मस्ती होती,

    तो कभी मुश्किलें थी।

    कभी नियमों की पाबंदी

    तो कभी खुलेपन की रोशनी,

    कभी रोज़ाना शिक्षा थी

    तो कभी डांट थी पड़ती

    पर सीख सबमें मिलती।

    जब बचपने में

    शामिल शैतानी होती,

    तो मुसीबत भी

    अपनी बुलाई होती।

    कभी कठिनाई की

    छोटी सी कहानी थी,

    तो कभी मंज़िल पाने की

    कोई ज़िद पुरानी थी।

    कभी ललक थी

    कुछ कर दिखाने की,

    तो कभी तड़प थी

    शिकस्त को अपनाने की।

    यूँ गुज़रे

    दिन बचपन के,

    फिर आगे बढ़ गई

    यह ज़िंदगानी।