धुंधली सर्दियों वाली रात
नहीं भूल सकते ।
तेरी यादों के खूंटे से बंधे हैं
हम चाह का भी खुल नहीं सकते ।
हठों में सिहरन जो आती हैं ।
ठंडी हवाएं तेरी यादों को
बहा ले आती हैं।
कांपने लगता हैं बदन सारा ।
जैसे माघ की सर्दी चली आती हैं।
कोहरा सा जीवन में छा गया हैं।
जब से तू चला गया हैं ।
तेरा नाम कोई लेता हैं तो लगता है
बदन सारा बर्फ सा जम गया हैं
जम जाता हैं।
मेरा जीवन भी कुछ ऐसे ही थम जाता हैं।।
~अंकित
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