Creation 750936

    Ankit patel
    @Ankit-patel
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    2 Likes | 1 Views | Feb 16, 2025

    था मन उदास

    और एक कुर्सी पड़ी थी पास

    नजर दौड़ाई थोड़ी

    दिखा मुझे रस्सी दो हाथ

    घरवालों ने थोपा दी

    थी नाकामी की स्याही माथ पर

    देखा पंखा बंद पड़ा था छत पर

    मन में सवालों का एक सैलाब उमर आया

    जब मेरी नज़र में घर का छत आया

    दिमाग का एक कोना इशारा कर रहा था

    डाल रस्सी पंखे पर दोबारा  कह रहा था

    लगा दी रस्सी बना दिया फंदा

    कहीं से आवाज़ दी माँ ने

    बेटा ढूंढ के लादे मेरा डंडा

    ये मैं अपनी आप बीती बता रहा हूं

     हा मैं जिंदा हं

    पंखे से रस्सी हटा रहा हूँ

              ~अंकित