वो खूबसूरत यादें,
अपने शहर की हैं,
प्यारे I
फूलों के बसंत में,
आये शिवजी ब्याने,
रम-रमा सी धूप,
या कभी-कभी बारिश I
फाल्गुन आयो,
और रंगो में समाओ
लू वाली गर्मी,
आने से पहले,
आयी राम नवमी I
आम का आगमन और,
सूती कपड़ो का फैशन I
बच्चों की छुट्टी, पड़ते ही,
सब गए हिल स्टेशन I
मानसून का बारिश,
और मच्छरों का साजिश I
जगह-जगह पानी का बार,
यातायात में फंसे कार,
डेंगू, चिकन गिनीया, का आंतक,
करवाएं नमन, श्री विनायक दंतक I
ढोल बजाता आया शरद,
देवी माँ के प्रेम में गूंजा सरहद I
सफ़ेद सा धूप, शीतल शाम,
सजा नवरात्र में पूरा धाम I
पटाके संग दस्तक देती,
चुलबुली गुलाबी सर्दी I
छाया कोहरा, सुबह-शाम,
ठण्ड में ठिठुरते हम-आप
मूंगफली, गज्जक, रेबरी,
संग सजगयी देखो थालीI
कम्बल ओरे, गप्-शप करते,
भाई-बहन, बंधू गन I
दिल जगमग करदेते,
वो खूबसूरत यादें,
अपने शहर की है,
प्यारे I
- महुआरिन्कू
note: Published in "Amar Ujjala" on 2/14/2025.
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