क्या है ज़िन्दगी
बिता रहा हूं ज़िन्दगी पर जी नहीं रहा
अमृत और ज़हर दोनों हैं पर अमृत पी नहीं रहा
क्या बेवशी है ये मेरी
अपनी मर्जी से जी भी नहीं रहा
क्या है ज़िन्दगी
बिता रहा हूं ज़िन्दगी पर जी नहीं रहा
अमृत और ज़हर दोनों हैं पर अमृत पी नहीं रहा
क्या बेवशी है ये मेरी
अपनी मर्जी से जी भी नहीं रहा
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