काश मै कोई चिड़िया होती।
काश मै कोई चिड़िया होती।
मै भी उड़ती रहती हर दिन ।।
डाल-डाल पर चहकती रहती।
काश मै कोई पंक्षी होती।।
दूर गगन मे जा पहुचती।
कभी पेड़ों की सबसे ऊंची डाली पर तो कभी जमीं पर होती ।।
काश मै कोई चिड़िया होती।
दूर दुनिया की कोलाहल से आस्मां की ओर मै जाती।।
ऊंची गगन की सैर मै करती, पूरी दुनिया को मै जाती।
हर दिन होती मोज-मस्ती, कभी यहाँ तो कभी वहाँ।।
जो जी चाहे वो मै करती जहां जी चाहे वहाँ मै जाती।
काश मै कोई चिड़िया होती।।
ना ही कोई रोक-टोक और ना ही कसी की आस मै जोहती।
बिना रुके मै आगे बढ़ती, जब जी चाहे वापस आती।।
काश मै कोई चिड़िया होती।
दूर गगन को मै भी जाती।
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