उन्हें शिकायत है कि हम आंखों में सुरमा लगाते क्यों नहीं है
और हम बताते नहीं कि जिस शाम लगा लूंगी
आंखों में सुरमा अगली सुबह तुम बदनाम हो जाओगे
कि मैंने आंखों में जो समुंदर समेटा हैं
कहीं ख़बर ना करदे उसकी लहरें किनारे पर आकर मेरे मां बाप को
कि कैसे बंदे को सौंपा है उन्होंने अपने जिगर के टुकड़े को
कहीं मरने न लगे इस चिंता में की हर रोज़ तड़प रहीं हैं
उनके ज़िगर का टुकड़ा
और तुम पूछते हो बताओं क्यों नहीं लगातीं हो आंखों में सुरमा
तो बताओं बदनाम कर दें क्या तुम्हें लगाकर आंखों में अपनी सुरमा।
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