कहा था ना मैंने कि वक्त के सांचे में ढाल लूंगी खुद को
वो वक्त का कहर था जिसने चेहरे की रंगत छीन ली थी
और अब रब की मेहरबानी है जिसने चेहरे पर नूर बरसाया है
रब की मेहरबानी होगी तब जिंदगी संवार लूंगी
कहा था ना मैंने कि वक्त के सांचे में ढाल लूंगी खुद को
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