Waqt ka sacha/poetry

    Arbindpriy
    @Arbindpriy
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    0 Likes | 1 Views | Jan 19, 2025

    कहा था ना मैंने कि वक्त के सांचे में ढाल लूंगी खुद को

    वो वक्त का कहर था जिसने चेहरे की रंगत छीन ली थी
    और अब रब की मेहरबानी है जिसने चेहरे पर नूर बरसाया है
    रब की मेहरबानी होगी तब जिंदगी संवार लूंगी